दिसंबर की सफेद सुबह का एक ठंडा जमा हुआ पहर,
बरसता हुआ पाले-सा, रास्ते भर।
और उसपर,
अथाह रातों की परतों के पीछे दबा
अपनी ही गहराइयों से भिंचा
नन्हा सा,
किंतु अविराम
एक बोसा तुम।
Ps-
बोसा (फ़ारसी) - चुम्बन, kiss
'The Abode',as the dictionary says is a housing that someone is living in, your residence. I tend to question my childhood dream of an Abode-my small and happy world. "Do i really want a residence where my travel would cease and i would get settled?" "Does such an abode actually exist?" "IF MY JOURNEY DEPRIVES ME OF 'MY ABODE', I HAVE NO REGRETS!!"
Bagh-e-Bahisht Se Mujhe Hukam-e-Safar Diya Tha Kyun Kaar-e-Jahan Daraz Hai, Ab Mera Intezar Kar - Mohammad...
दिसंबर की सफेद सुबह का एक ठंडा जमा हुआ पहर,
बरसता हुआ पाले-सा, रास्ते भर।
और उसपर,
अथाह रातों की परतों के पीछे दबा
अपनी ही गहराइयों से भिंचा
नन्हा सा,
किंतु अविराम
एक बोसा तुम।
Ps-
बोसा (फ़ारसी) - चुम्बन, kiss
कविता कैसे लिख लेती हो?
कविता
एक चीख है
गले में अटके अल्फ़ाज़ों की चीख
अपना घर ढूंढते, खोये हुए बच्चे-से अल्फ़ाज़
जिसका सबसे प्यारा खिलौना,
तोड़ दिया हो किसी ने हँसकर।
कविता
एक रक़्स है
कभी सूफ़ी-सा ज़िक्र
कभी खयालों में सैक्सोफोन पर किया
तुम्हारे साथ एक वॉल्ट्ज
मेरे तुम्हारे ख़ालिस खयालों का रक़्स
कागज़ पर।
कविता बग़ावत है
अकेलेपन से
बात न करने की
ज़िद ही से।
कविता इश्क़ है
जीने के फ़ैसले से,
ज़िन्दगी से।
कभी छूकर नहीं देखा तुमने
मेरे रेज़े रेज़े में थिरकती हुई
ज़िन्दगी से प्रेम करने की
आदत को।
वरना जान पाते
कैसे लिखती हूँ मैं
ख़ामोशी को ओढ़े
अपने हर दर्द को जोड़े
टीस को ढोये
प्रेम को संजोए
दायरों को तोड़ती हुई
तुम्हें मुझसे जोड़ती हुई
कविता।
मैं लम्हे के मानिंद मुख़्तसर हूँ, अयाँ हूँ
गरचे-सा कभी तू लिहाज़ा-सा क्यों है?
( मानिंद - like, जैसा, की तरह; मुख़्तसर - short, छोटा सा ; अयाँ - evident, स्पष्ट ; गरचे - if, even though, मगर, लेकिन; लिहाज़ा - therefore, thats why, इसलिए)
तू शहरों की सड़कों पे शामों-शबों में
पिघलता हुआ कोई वादा-सा क्यों है?
(शब - night, रात)
हर्फ़ों से फ़र्दों पे सरहद बनाकर
बता तेरा दिल ये कुशादा-सा क्यों है?
(फ़र्दों - stamp papers ; कुशादा - open, uncovered, खुला)
इल्तिज़ा-ब-लब मैं बरसता आसमाँ सा
तू ख़ामोश-सा इक तकाज़ा-सा क्यों है?
(इल्तिज़ा-ब-लब - request on lips ; तक़ाज़ा - pressing demand)
नहीं अब यहाँ हूँ, कि मैं जा चुका हूँ
तू आकाश पर ईस्तादा- सा क्यों है?
(ईस्तादा - standing, खड़ा हुआ)
तू क्यों धमनियों में धधकने लगा है?
छुअन-सा, लहु-सा, तू बादा-सा क्यों है?
(बादा - wine)
मैं उठकर गिरा हूँ, मैं गिरकर उठा हूँ
मेरी वुसअतों का इरादा-सा क्यों है?
(वुसअतों - expanse, फैलाव)
मेरी कैफ़ियत के तर्जुमें बहुत हैं
पर सभी में बसा हर्फ़-ए-सादा सा तू है।
(कैफ़ियत - narrative ; तर्जुमें - interpretations, translations, अनुवाद; हर्फ़-ए-सादा - simple word)
तू आधा-सा क्यों है? तू आधे से थोड़ा ज़ियादा-सा क्यों है?
There are times when we are the canvas.
Sometimes we become the brush.
And one day we are
the painter.
Thank you @rang_by_shilpa
https://instagram.com/rang_by_shilpa?igshid=l39v1vz0d705
for this beautiful hand painted crepe saree. It's so full of spring and sunshine. Such positive colours!
#introspections #sunsoaking #myverses #paintings #handpainted #vocalforlocal #sareesofinstagram
Do that.
Small efforts matter.
And remember it's important to have known your darkness, to be able to reach your light. .
and a little graphite or some charcoal.
There are these sonnets dancing on my fingers.
and ballads bubble from my Kohl.
This is one of my favorite poems by Harivansh Rai Bachchan Sahab.
It's been a long journey and there are days I realise, strength is also about opening up, about accepting that you are scared, about surrendering to pain, looking it in its eye and telling it- "I got you". I got you.
Strength is what you make of yourself. And sometimes it is just letting yourself be.
एक सांझ तुमने
इंग्लिश की चार लाइनों वाली कॉपी पर
उर्दू का एक नुक़्ता बना दिया ।
भाषाएँ मुस्कुराती रहीं,
रात भर।