दोपहरी की आंधी के बाद जब शाम को सूर्य की किरण,
जा गिरती है
- खंडहर के ईंट के हृदय पर -
तो एहसास होता है कि,
कुछ भी नहीं रहता
- हमेशा के लिए -
न ईंटें।
न खंडहर।
और न ही आंधी।
Ps - Thankyou @ichakdanastore for this beautiful floral bomber jacket.
जा गिरती है
- खंडहर के ईंट के हृदय पर -
तो एहसास होता है कि,
कुछ भी नहीं रहता
- हमेशा के लिए -
न ईंटें।
न खंडहर।
और न ही आंधी।
Ps - Thankyou @ichakdanastore for this beautiful floral bomber jacket.
#myverses #mypoems #theabode #ruins #ephemeral #hameshakeliye #mountains #pines
Is this pic click by Apurva pandey ma'am
ReplyDeleteMoment became memories and people and experience became lesson to us
ReplyDeleteMoment became memories and people and experience became lesson to us
ReplyDeleteकहीं छत थी, दीवारो-दर थे कहीं
ReplyDeleteमिला मुझको घर का पता देर से
दिया तो बहुत ज़िन्दगी ने मुझे
मगर जो दिया वो दिया देर से
हुआ न कोई काम मामूल से
गुजारे शबों-रोज़ कुछ इस तरह
कभी चाँद चमका ग़लत वक़्त पर
कभी घर में सूरज उगा देर से
कभी रुक गये राह में बेसबब
कभी वक़्त से पहले घिर आयी शब
हुए बन्द दरवाज़े खुल-खुल के सब
जहाँ भी गया मैं गया देर से
ये सब इत्तिफ़ाक़ात का खेल है
यही है जुदाई, यही मेल है
मैं मुड़-मुड़ के देखा किया दूर तक
बनी वो ख़मोशी, सदा देर से
सजा दिन भी रौशन हुई रात भी
भरे जाम लगराई बरसात भी
रहे साथ कुछ ऐसे हालात भी
जो होना था जल्दी हुआ देर से
भटकती रही यूँ ही हर बन्दगी
मिली न कहीं से कोई रौशनी
छुपा था कहीं भीड़ में आदमी
हुआ मुझमें रौशन ख़ुदा देर से!
Nida Fazli
Lovely yes we are just passing by
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