वहाँ दिन खिलेगा;
वहाँ रात होगी,
वहाँ हर डगर पर
मुलाकात होगी।
वहाँ चाँद अम्बर
के नीचे समंदर
में आधा-सा छुपकर,
बातें करेगा।
वो आधी -सी बातें...
वहाँ लफ्ज़ बिखरेंगे
कागज़ से नभ पर,
और पंछियों - से,
घरोंदों को अपने,
लौटेंगे रातों को।
वो आधी- सी रातें...
वहाँ मैं नहीं मैं
वहाँ तुम नहीं तुम,
वहाँ कुछ न ज़्यादा
वहाँ कुछ नहीं कम।
कि जब वक़्त धागों- सा
जुड़ कर रुकेगा
वहाँ रेत पर...
तेरी धड़कनों में
संगीत मेरा,
पुकारेगा तुझको
तेरा नाम लेकर...
और चुप चाप छुपकर
तेरी धड़कनों में,
तेरा नाम लेकर...
और चुप चाप छुपकर
तेरी धड़कनों में,
संगीत मेरा...
वो आधा- सा वादा
कर देगा पूरा।
what a romantic piece and enchanting!!!
ReplyDeleteYeah. Wrote this romantic a piece after a lot o time. Feels good... Thanks keep talking 😊
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