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Bagh-e-Bahisht Se Mujhe Hukam-e-Safar Diya Tha Kyun Kaar-e-Jahan Daraz Hai, Ab Mera Intezar Kar                      - Mohammad...

Saturday, May 29, 2010

तू...


Wrote this sum tym back...
Jus wanna blog it 2day....

तू ही तो है ; बस एक तू, मेरे हर कण में तेरा नाम है।
मेरी रूह में बस्ता है तू; कृष्णा है तू; तू राम है।

मंदिर में तू, मस्जिद में तू; गिरिजा है, तू गुरुद्वार है।
जन- जन को मन से जोड़ दे; तू वह आलोकिक प्यार है.

कबीरा कि उज्जवल वाणी तू, मीरा का निश्छल प्रेम है।
सिन्धु भी उसे डूबा सके; जिस पत्थर पे तेरा नाम है।

नभ में, नदी में, बाग़ में; मैंने ढूंडा तुझे हर वन में है।
पर इक क्षण जो खुद में लीं हो; पाया तू मेरे मन में है

आधार दे इस सृष्टी को जो, मेरी छुपी वह शक्ति है.
जो ज्वार बन टकराए तट से; तू मेरी वेह अभिव्यक्ति है

पवन से करता है शीतल, मिटटी के मेरे शरीर को।
तू ताप देता है मुझे; कि पिघला सके मेरी पीर को।

तू है, तू व्योम है; तत्सत कि तू इकाई है।
ब्रहमांड़ का विस्तार है तू; तू प्रेम है, तू साईं है

तेरी हर रज़ा स्वीकार है; तेरा फैसला स्वीकार है
तुने लिख दिया स्वीकार है; बिन प्रश्न अब स्वीकार है

तू चाहे अब मुझे थाम ले; चाहे अधुरा छोड़ दे।
बिखरे सिरे मेरे बाँध दे; चाहे तो तू मुझे तोड़ दे।

मिटटी हूँ मैं, मै धुल हूँ; विस्तृत तू आकाश है।
कहतें हैं मुझसे दूर है; मुझमे है तू, मेरे पास है।

मिटटी के मेरे शरीर में, मेरे दर्द में, मेरी पीड़ में
मेरी आत्मा, मेरी ज्योत में; अस्तित्व के मेरे स्त्रोत में
मेरी हर उखड्ती सांस में; मेरे टूटते विश्वास में...
तू ही तो है, बस एक तू; मेरे हर कण में तेरा नाम है;
मेरी रूह में बस्ता है तू; कृष्णा है तू, तू राम है...

4 comments:

  1. Another extraordinary masterpiece in expression of love to GOD. Words cannot appreciate any more.

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  2. true devotion reflected in ur words.....:)

    n i love ur blog name & its description :)

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  3. beautiful... I wish I could have been able to write such beautiful poems in hindi.

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  4. BAHUT HEE SAMVENDNA SE PARIPURNA, PRAKASHATH KAVITA:)

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