I used to think till now that home was never a place, but a time.
It only took a daily cycle of sending thousands of stranded migrant labourers back to their districts and states, that I realized,
Home was also a place.
मै अक्सर सोचा करती थी कि घर कोई जगह या चारदीवारी नहीं होती। वो तो एक समय होता है। लेकिन इन दिनों सुबह से शाम तक हज़ारों प्रवासी मजदूरों को उनके जिलों और प्रदेशों में भेजते हुए महसूस होता है, की शायद मैं गलत थी। घर एक जगह भी होता है। वो जगह जहां तक पहुंचने के लिए आप हर फासला तय कर सकते हो।