तू नूर है वो, तू वो 'सच' है; ये सूरज जिससे जलता है।
ये चंदा जिसके उजाले से; खुद को रौशन करता है।
बिखरे- से मेरे इन प्राणों में, फिर से अपनी आभा भर दे।
अपने जादू के शीशे पर; घिस दे मुझको ताज़ा कर दे...
तुने दी है खुदाई-सी मुझको, ये विरासत सलामत रखना सदा।
मुझे रखना संभाले खुद में यूँ ही।
करना न कभी मेरी जड़ से जुदा...
करना न कभी मेरी जड़ से जुदा..
ये चंदा जिसके उजाले से; खुद को रौशन करता है।
बिखरे- से मेरे इन प्राणों में, फिर से अपनी आभा भर दे।
अपने जादू के शीशे पर; घिस दे मुझको ताज़ा कर दे...
तुने दी है खुदाई-सी मुझको, ये विरासत सलामत रखना सदा।
मुझे रखना संभाले खुद में यूँ ही।
करना न कभी मेरी जड़ से जुदा...
करना न कभी मेरी जड़ से जुदा..
Har Mausam ko sehna hai..
ReplyDeleteMujhe Jadon se Jud ke Rehna hai..
I like the way you express Gazal..Thanks! Keep thinking and sharing..
BIKHARE SE MERE IN PRANO MEIN, PHIR SE ABHA BHAR DE- nice!
ReplyDeleteThis was a blend of pure and impure Hindi, unaccustomed words used, liked the notion nevertheless.
ReplyDeleteBeautiful is the word! Very inspiring :)
ReplyDeleteHey collect your blog awards from here :)
ReplyDeletehttp://jaspreet-images.blogspot.com/2010/09/and-award-goes-to.html
बिखरे- से मेरे इन प्राणों में, फिर से अपनी आभा भर दे।
ReplyDeleteअपने जादू के शीशे पर; घिस दे मुझको ताज़ा कर दे...
beautiful lines!!!
A beautiful prayer............................resonating the sky
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