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Bagh-e-Bahisht Se Mujhe Hukam-e-Safar Diya Tha Kyun Kaar-e-Jahan Daraz Hai, Ab Mera Intezar Kar                      - Mohammad...

Tuesday, December 29, 2020

The unsaid.

"कैसे में कागज़ पर लिख दूं ? 

रस्म-उल-ख़त में कोई हर्फ नहीं

आंखों में रोक के बैठी हूं, 

मुझमें है बचा कोई ज़र्फ़ नहीं। " 


रस्म-उल-ख़त - script

हर्फ - word

ज़र्फ़ - vessel, container
 

Sunday, December 20, 2020

The humming birds.


Will you 

- touch -

this madness 

I hum?

My eyes 

- hum -

your sadness 

you don't want me to touch. 



Wednesday, December 16, 2020

Words stuck on my fingers..


 एक जलती हुई तस्वीर जो इन आंखों में है, उसको मैं रोज़ ही धागों से लिखा करता हूं।

ख्वाब संजो के कुछ हाथों में पहन रखें हैं, रेज़ा रेज़ा उसे तारों में बुना करता हूं।

और एक बर्फ-सी की नज़्म इन आंखों में लिए

कभी कैनवस कभी कागज़ पे फिरा करता हूं..

- तुमने अल्फ़ाज़ पढ़ें है कभी -

उंगलियों पर अटके ?


Saturday, December 12, 2020

Art.


May be your nothingness encompasses your wholeness.

Inch by inch, every part.

Here I am,

- like a blank sheet -

- like a slate black-grey -

- like a white canvas -

- like a stack of clay -

Touch me with your nothingness.

Make me art.



Friday, December 11, 2020

Eyes of a stranger.

 

वो अपनी नींद भरी आंखों में समेटे हुए

सवाल कुछ तवील था...

मैं जवाब करता या तलफ

वक्त कितना कलील था।

आज कागज़ पे

लिखूंगा

आँखें उसकी।


तवील- लंबे

तलफ- to absorb

कलील- थोड़ा


Ps - A beautiful plum headed parakeet clicked somewhere in the jungles of Lalitpur, Uttar Pradesh


Wednesday, December 2, 2020

Songs of december


 मेरी नज़्म ।। अटकी हुई है ।। चीड़ की उस टहनी पर ।।

कानों के बूंदों में

 पत्तियों सा खनकता 

- एक हर्फ -

जम रहा है ।।

 गर्म सूरज-सा 


अब थम रहा है ।।


कभी तू कभी मैं, 

कभी हम रहा है ।।