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Thursday, July 20, 2017

What goes on in the heart of the city...


" कुछ बेलफ़्ज़ों- सी बातें हैं ,
कुछ लफ़्ज़ों-सी है ख़ामोशी 
कैसे मै कागज़ पर लिख दूँ 
है कौन यहाँ किसका दोषी?"


2 comments:

  1. "ये जो बेलफ़्ज़ों सी बातें हैं,
    इनमें है दर्द कोई या कोई मदहोशी?
    काग़ज पर जो लिख ना सको तुम,
    सुना दो मेरे कानों को ये दिल की ख़ामोशी"

    -VS

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  2. सुना दो, अपनी खामोसी. किसी को तो सुना दो, बहुत सारे बीमार बिना दवा के मरने वाले हैं��

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