एक सुबह है यहाँ ,
इसमें आवाज़ है, क्या सुनी है?
ये आवाज़ एक हर जगह....
ओस से भीगती इन पत्तियों में ,
ये जो आवाज़ है।
ये जो आवाज़ है।
इन पक्षियों की सुबह की उड़ानों में,
ये जो एहसास है।
ये जो एहसास है।
एक सूरज निकलने लगा है,
तारे सभी, घुल रहे व्योम में
तारे सभी, घुल रहे व्योम में
देखो सारी दिशाएँ मिलाने लगा, आसमाँ है.…
एक ठंडी हवा, छू रही है मुझे,
क्या तुझे भी अभी,
इस तरह से कभी,
इसने छुआ है ?
इस तरह से कभी,
इसने छुआ है ?
क्यों धुआं हैं यहाँ ?
क्या हुआ है यहां?
क्या मेरा आसमाँ, मुझसे नाराज़ है?
क्या ये मेरी ज़मीं, मुझसे नासाज़ है?
मै इसी का तो हूँ,
इसमें खो जाऊंगा...
इसका हो जाऊंगा।
आसमाँ जब मिलेगा धरा से,
कुछ बारिशों में कहीं,
हाँ इसी का तो हूँ ,
मै बरस जाऊँगा
तुझमें बस जाऊँगा।
तुझमें सो जाऊँगा
तेरा हो जाऊँगा।
Good stuff.
ReplyDeleteक्यों धुआं हैं यहाँ ?
ReplyDeleteक्या हुआ है यहां?
क्या मेरा आसमाँ, मुझसे नाराज़ है?
क्या ये मेरी ज़मीं, मुझसे नासाज़ है?
मै इसी का तो हूँ,
इसमें खो जाऊंगा...
इसका हो जाऊंगा।
:)
:)
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