इस जहाँ,मेँ मेरी,
ये ज़बां,क्यों मेरी,
कोई समझे नहीं...
थक गया हूँ मै;
चुप अब मै होने लगा हूँ।
खुद को चाहत सिखा देना खुदगर्ज़ी तो नहीं
किसको चाहूँ मै?
मै खुद को ही खोने लगा हूँ।
इस जहाँ,का अगर,मै नहीं,
तो कहीं
कोई घर,कोई आयाम,
कोई होगा मेरा...
ढूंढ़ता,
फिर रहा,
हूँ किसे,
इस जहां,
में मै क्यों,
दे बता,ऐ खुदा
ऐ खुदा ..
ये मेरा कौन था?
वो मेरा कौन है ?
कौन अरमान है?
कौन अनजान है?
दे बता,ऐ खुदा
ऐ खुदा ..
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