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Yes its sinking in.. Rank 40, CSE 2015.The UPSC circle- the close and the beginning.

Bagh-e-Bahisht Se Mujhe Hukam-e-Safar Diya Tha Kyun Kaar-e-Jahan Daraz Hai, Ab Mera Intezar Kar                      - Mohammad...

Monday, April 28, 2014

To this morning...


एक सुबह है यहाँ ,
इसमें आवाज़ है, क्या सुनी है?
ये आवाज़ एक हर जगह.... 

ओस से भीगती इन पत्तियों में ,
ये जो आवाज़ है।  
इन पक्षियों की सुबह की उड़ानों में,
ये जो एहसास है। 
एक सूरज निकलने लगा है,
तारे सभी, घुल रहे व्योम में
देखो सारी दिशाएँ मिलाने लगा, आसमाँ  है.… 
एक ठंडी हवा, छू रही है मुझे,
क्या तुझे भी अभी,
इस तरह से  कभी,
 इसने छुआ है ?

क्यों धुआं हैं यहाँ ?
क्या हुआ है यहां?
क्या मेरा आसमाँ, मुझसे नाराज़ है?
क्या ये मेरी ज़मीं, मुझसे नासाज़  है?
मै इसी का तो हूँ,
इसमें खो जाऊंगा... 
इसका हो जाऊंगा। 

आसमाँ जब मिलेगा धरा से,
कुछ बारिशों में कहीं,
हाँ इसी का तो हूँ ,
मै बरस जाऊँगा 
तुझमें बस जाऊँगा। 

तुझमें सो जाऊँगा 
तेरा हो जाऊँगा। 

Thursday, April 24, 2014

The grave of custom

I do not believe in angels.
What exist here are just 'Men'
Men who care 
for their families, their caste, their community, their kin.
Men who will sacrifice themselves and someone else too
to the grave of custom;
is that not still a sin?

Men who will bow down to the bondages
that have permeated from history's dome
Men who will go to far away rallies clamouring for change
but will not begin from home,
But will not begin from home.

Tuesday, April 22, 2014

Roshni - Fireflies


रास्तों में कहीं रौशनी मिल गयी 
मंज़िलों तक मेरे साथ चलना मगर। 

रौशनी  ने कहा , भोर नज़दीक  है ;
मैंने  उससे  कहा  और सब ठीक  है;
ढूंढ  ला  तू कहीं  से  वो  जुगनू  मेरा … 
जो जानता था मेरे साथ जगना  मगर। 

जुगनुओं  को  बुझते  जलते देखना 
वायदों  को पिघलते  हुए देखना। 
और मुझे धुप छाओं  के  इस खेल  में ;
गिरते  उठते  संभलते  हुए देखना।

हाँ सवेरे से  जब रात हो जायेगी,
इस ज़मीं की हर इक चीज़ सो जाएगी,
देर तक जागते मेरे दो नैन में;  
एक अधूरा सा बन ख्वाब जलना मगर। 

रास्तों में कहीं रौशनी मिल गयी 
मंज़िलों तक मेरे साथ चलना मगर। 

Monday, April 14, 2014

where the roads can't...


Roads...
I know them, I remember, I sigh.
Roads...
They speak, they shout, they cry.
They ask me why?

They do not belong to me now,
no matter how much I want.
I sit down by this river,
and look at these waters
May be,
THE RIVER CAN TAKE ME, WHERE THE ROADS CAN'T.

Sunday, April 6, 2014

What of I?



You wanted to play with fire
what if that one simple feeling gets finished?
and
what if the fire within You is extinguished?
what if some dreams unspoken die?
yes You chose and so You win;
but what of I?