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Sunday, March 22, 2020

मेरा दोस्त पलाश।



मेरे बागीचे में खड़ा ये पलाश का पेड़
हर रोज़ 
मुझे देखा करता है।

दिन में सूरज की सारी लाली समेटे
दोपहर की चाय में घुलकर
मेरा दोस्त 
मुझसे फाइलों पर
झगड़ता है

और शाम को
तोतों की कलरव से
मेरे घर के खालीपन को
भर दिया करता है

और ऑफिस से लौटे मुझ अधूरे को
हर रोज़
पूरा 
कर दिया करता है

4 comments:

  1. मन की भेदना है मेम

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  2. Amazing lines...

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  3. Trees do not preach learning and precepts. They preach, undeterred by particulars, the ancient law of life."

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