कारवानों में तू ढूंढे वो लम्हा तेरा
और लम्हे तेरे कारवाँ लिख रहें हैं
लफ्ज़ और खामोशियों के बीच में...
लफ्ज़ बंदिश भी हैं
और हवा की तरह
लफ्ज़ आज़ाद हैं
इनको जी ले , कि यें ,
बस तेरे आज हैं
कल रहें न रहें,
कल मिलें न मिलें
बीते लम्हों को मत तोल,
वो कब रहे साथ हैं ?
कारवानों में इन, तू है लम्हा वो इक,
ढूंढता तू जिसे है, अब यहाँ, अब वहाँ
ढूंढता जग जिसे है सदा से रहा,
जाने पहचानों और बेगानों के बीच में...
photograph borrowed from freepic.com
और लम्हे तेरे कारवाँ लिख रहें हैं
लफ्ज़ और खामोशियों के बीच में...
लफ्ज़ बंदिश भी हैं
और हवा की तरह
लफ्ज़ आज़ाद हैं
इनको जी ले , कि यें ,
बस तेरे आज हैं
कल रहें न रहें,
कल मिलें न मिलें
बीते लम्हों को मत तोल,
वो कब रहे साथ हैं ?
कारवानों में इन, तू है लम्हा वो इक,
ढूंढता तू जिसे है, अब यहाँ, अब वहाँ
ढूंढता जग जिसे है सदा से रहा,
जाने पहचानों और बेगानों के बीच में...
photograph borrowed from freepic.com

Boht ummda likhti hain aap gazal ji.
ReplyDeletethank you.
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