धरा को गगन से , मुझे मेरे मन से दरस कर रहा है।
तू है कौन जिसने ?
मेरी हर सुबह को
हरा कर दिया है।
तू है कौन जिसने
खाली से मन को
भरा कर दिया है।
तू है कौन जिसने
मुझी को मुझी से
बड़ा कर दिया है।
तू है कौन जिसने
इबादत को मेरा
ख़ुदा कर दिया है...
ख़ुदा कर दिया है।