की सुबहों और शामों
को ढकते अंधेरों
से बहते उजालों
से हर रोज़, पल- पल
रिसते सवालों
में चुपचाप बैठी....
मेरी ज़िन्दगी है।
है बनती- बिगड़ती
उजड़ती- सँवरती
तपती - सुलग़ती
जमती - ठिठुरती
थिरकती - मचलती
सिहरती - उफ़नती
सौ रंग बुनती ,
तेरे हर्फ़ सुनती
मीलों को गिनती
लम्हों को सालों
सालों मिसालों
को धागों में बिनती
तेरे राग जैसी ,
तेरी आग जैसी ,
...मेरी ज़िन्दगी है।