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Tuesday, May 29, 2018

Essays on love - You rain on me.


बारिश की बूंदों सा तू आज मुझपर बरस फिर रहा है 
धरा को गगन से , मुझे मेरे मन से  दरस कर रहा है। 

तू है कौन जिसने ?
मेरी हर सुबह को 
हरा कर दिया है। 

तू है कौन जिसने 
खाली से मन को 
भरा कर दिया है। 

तू  है कौन जिसने 
मुझी को मुझी  से 
बड़ा कर दिया है। 

तू है कौन जिसने 
इबादत को मेरा 
ख़ुदा कर दिया है... 
ख़ुदा कर दिया है। 

2 comments:

  1. चांदनी सी तू मेरी रातों को रोशन कर रही है
    साए सी तू मेरे संग हर पल चल रही है।

    इन परछाइयों में है वो दीपक की लौ
    जिसने तेरी सुबह को हरा कर दिया।

    खाली सा मन तेरा नहीं
    है उसका जिसको रब ने सब से जूदा कर दिया।

    वो है कहीं तेरे संग, तेरी शक्सियत में
    वो है तेरे संग बन कर तेरी राहों का दिया।

    गर इस बंदे से पूछो क्यों उसने खुदा केह दिया
    ज़माना ये कहता है मैंने तो सिर्फ इबादत ही है किया।

    -VS

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  2. एक बूंद वो बारिश की मुझ पर ।।
    एक ऐसा जादू डाला है ।
    यू नमी को लेकर चलती है ।
    यो सर्द हवा का साया है।

    उस खुदा की खुदाई का
    ये पैगाम जो आया है।

    बिन बरसात यू बारिश का
    एहसास जो मैने पाया है ।।

    लम्हों के उस वक्त पर तेरा एहसास जो पाया है।।
    एक पत्ता था जो डाल का
    अब पेड़ नजर वो आया है।।।।।

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