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Tuesday, April 22, 2014

Roshni - Fireflies


रास्तों में कहीं रौशनी मिल गयी 
मंज़िलों तक मेरे साथ चलना मगर। 

रौशनी  ने कहा , भोर नज़दीक  है ;
मैंने  उससे  कहा  और सब ठीक  है;
ढूंढ  ला  तू कहीं  से  वो  जुगनू  मेरा … 
जो जानता था मेरे साथ जगना  मगर। 

जुगनुओं  को  बुझते  जलते देखना 
वायदों  को पिघलते  हुए देखना। 
और मुझे धुप छाओं  के  इस खेल  में ;
गिरते  उठते  संभलते  हुए देखना।

हाँ सवेरे से  जब रात हो जायेगी,
इस ज़मीं की हर इक चीज़ सो जाएगी,
देर तक जागते मेरे दो नैन में;  
एक अधूरा सा बन ख्वाब जलना मगर। 

रास्तों में कहीं रौशनी मिल गयी 
मंज़िलों तक मेरे साथ चलना मगर। 

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